दशहरे के दिन पान खाना का भी महत्व है। इस दिन पान का सेवन जरूर करना चाहिए। दरअसल, शास्त्रों में पान को बहुत ही शुभ माना गया है। पान खाने से सुख समृद्धि बनी रहती है। इसलिए इस दिन पान का सेवन जरूर करें।
चींटी, पक्षी, गाय, कुत्ता, कौवा, आदि प्राणियों के लिए अन्न-जल की व्यवस्था करनी चाहिए.
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व्यक्तिगत बाधा : व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन बार उतार लें और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार करें। यदि आराम न मिले तो नमक को सिर के ऊपर वार कर शौचालय में डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।
रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भर कर धारण कर लें। जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहीं आयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूर होंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।
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अगर आप किसी काम की वजह से कहीं बाहर जा रहे हैं, तो घर से निकलने से पहले माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से इंसान को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
किसी सगे संबंधी को धन दिया हो और वह वापस नहीं कर रहा हो, तो ऊपर बताई गई विधि की भांति २१ श्वेत चितकबरी कौड़ियों को पीस कर चूर्ण उसके दरबाजे के आगे बिखेर दें। यह क्रिया ४३ दिनों तक करते रहें, वह व्यक्ति आपका धन वापस कर देगा।
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कन्या को चाहिए कि वह बृहस्पतिवार को व्रत रखे और बृहस्पति की मंत्र के साथ पूजा करे। इसके अतिरिक्त पुखराज या सुनैला धारण करे। छोटे बच्चे को बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र दान करे। लड़के को चाहिए कि वह हीरा या अमेरिकन जर्कन धारण करे और छोटी बच्ची को शुक्रवार को श्वेत वस्त्र दान करे ।
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शनिवार को अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में सरसों का तेल रखें। अगले दिन उस तेल में उड़द more info की दाल के गुलगुले बनाकर कुत्तों और गरीबों को खिलाने से गरीबी दूर होती है और लक्ष्मी का आगमन होता है।
लोग कहते हैं की अच्छा खासा चलता बिजनेस या दुकान अचानक से ठप हो गई। पैसे की आवक ख़त्म हो गई रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो रहा है। यह सिर्फ बिजनेस वालो की नहीं नौकरी वालों की भी समस्या होती है।
‘लाल किताब’ ज्योतिर्विद्या की एक स्वतन्त्र और मौलिक सिद्धान्तों पर आधारित एक अनोखी पुस्तक है। इसकी कुछ अपनी निजी विशेषताएँ हैं, जो अन्य सैद्धान्तिक अथवा प्रायोगिक फलित ज्योतिष-ग्रन्थों से हटकर हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातक को ‘टोटकों’ का सहारा लेने का संदेश देना है। ये टोटके इतने सरल हैं कि कोई भी जातक इनका सुविधापूर्वक सहारा लेकर अपना कल्याण कर सकता है। काला कुत्ता पालना, कौओं को खिलाना, क्वाँरी कन्याओं से आशीर्वाद लेना, किसी वृक्ष विशेष को जलार्पण करना, कुछ अन्न या सिक्के पानी में बहाना, चोटी रखना, सिर ढँक कर रखना इत्यादि। ऐसे कुछ टोटकों के नमूने हैं, जिनके अवलम्बन से जातक ग्रहों के अनिष्टकारी प्रभावों से अनायास की बचा जाता है। कीमती ग्रह रत्नों (मूंगा, मोती, पुखराज, नीलम, हीरा आदि। में हजारों रुपयों का खर्च करने के बजाय जातक इन टोटकों के सहारे बिना किसी खर्च के (मुफ्त में) या अत्यल्प खर्च द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों से अपनी रक्षा कर सकता है।